STORYMIRROR

कवि धरम सिंह मालवीय

Others

4  

कवि धरम सिंह मालवीय

Others

ग़ज़ल

ग़ज़ल

1 min
371



आस पास है मेरे पर नज़र नहीं आता 

जो नज़र में रहता है वो नज़र नहीं आता


लोग है बहुत लेकिन हम यक़ी करें किस पर

जिंदगी में अब कोई मोतबर नहीं आता


 रुख़्सती के तुम पहले प्यार से करो आमद

जो गया यहाँ से वो लौट कर नहीं आता


रात दिन भटकना ही यार इसकी क़िस्मत हैं

इश्क़ का सफ़र हैं ये इसमें घर नहीं आता


हाल दिल सुनाने में वक्त तो लगेगा ही 

प्यार का मुझे क़िस्सा मुख़्तसर नहीं आता


दरमियां हमारे अब दूरियां रही काबिज़ 

मैं उधर नही जाता वो इधर नहीं आता


 मयकदे में आकर के क्या करें कोई वादा 

मयकदे से अब कोई बाख़बर नहीं आता


याद भी नहीं आये कह दो यार को जाकर

जो धरम के जीवन में यार गर नहीं आता।


Rate this content
Log in