वन्दना -गीत
वन्दना -गीत
क्रोध मोह छल छदम तजूँ मैं , गीत प्रेम के गाऊँ मैं
तिरस्कार पाया जग से पर , सब पर प्रेम लुटाऊ मैं
ईर्ष्या करूँ न द्वेष करूँ मैं ,न ही कभी अभिमान करूँ
हंसवाहिनी वर देना मैं , सबका ही सम्मान करूँ
देखो कर्म धरा पर माता ,अब जाने क्या क्या होता
झूठ हँसे दिल खोल यहाँ पर, सच बैठा बैठा रोता
धन दौलत के मद में पापी,जन जन का रक्त बहाते है
नर के रूप मे दुष्ट यहाँ पर , पापाचार मचाते है
आओ माँ हे पाप नाशनी , आज मैं आवाहन करूँ
हंसवाहिनी वर देना मैं , सबका ही सम्मान करूँ
देह प्राण को छोड़ेगी तब, दुनिया नाते तोड़ेगी
तुम मुझको पकड़े रहना माँ, दुनिया मुझको छोड़ेगी
कोई जब न सुनेगा मुझको माँ, तब मैं तुझे पुकारूंगा
जग अनदेखा करेगा मुझको मैं ,तेरी औऱ निहारूँगा
तेरा दर्शन हो आँखों को, मैं जब जग से प्रस्थान करूँ
हंसवाहिनी वर देना मैं , सबका ही सम्मान करूं।