कविता
कविता
आते हैं पंछी पेड़ों पर और वो फिर उड़ जाते हैं
कौन बतायेगा अब उनको कितना हमें रुलाते हैं
खूब करे वो हास्य ठिठोली गीत प्यार के गाते हैं
गा गाकर वो गीत सुहाने हमको खूब रिझाते
जब भर जाता हैं दिल तो छोड़ चले वो जाते हैं
जाते जाते वो इन नैनों में आँसू दे जाते
जाने वाले तो जाते हैं पे कितना हमें सताते हैं
कौन बतायेगा अब उनको कितना हमें रुलाते हैं
साथ रहे वो खेले बैठे रिश्ता दिल का जोड़ दिया
समझ न पाए हम जीवन का रुख उसने मोड़ दिया
आस दिलाकर चाह की हमको प्यार धागा तोड़ दिया
क्या दस्तूर बना दुनिया का प्यार किया और छोड़ दिया
दिल के रिश्ते निभा न पाते दिल क्यूँ यार लगाते हैं
कौन बतायेगा अब उनको कितना हमें रुलाते हैं
बियाबान हो या मेला हो हम चैन कही न पाते हैं
कुछ भी याद नहीं रहता याद वो जब आ जाते हैं
दीवाने तो तन्हा रहते तन्हा ही रह जाते हैं
दीवानों का दुनिया में बस गम ही साथ निभाते हैं
जीवन में जो आये नहीं वो यादों में क्यूँ आते हैं
कौन बतायेगा अब उनको कितना हमें रुलाते हैं।