खेल
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“ कितने वोटों से हम हार गए ?”
प्रत्याशी ने बंद कमरे में बैठ कर अपने निजी साथियों के साथ चर्चाशुरू की।
“ सर ! ग्यारह ( 11) वोटों से !”
एक साथी ने हिम्मत दिखाई किन्तु डरते-डरते धीमे स्वर में बताया।मानो सारी गलती उसी की ही हो।
“ यहाँ हम कितने लोग हैं , अभी ?”
प्रत्याशी ने नजर दौड़ा कर 11 की संख्या में उपस्थित
आत्मीय जनों को उलाहना भरी नज़रों से देखते हुए कुछ ख़ास संकेतकरना चाहा।
“ जी … जी .. यहाँ …. अभी हम 11 लोग उपस्थित हैं।”
एक भक्त ने तत्काल संख्या
गिन कर घोषणा की।
“ यही … यही तो बात है। साले अपने ख़ास ही तो धोखा देते हैं।
बनते हमारे हैं , वोट किसी और को देते हैं। ख़ास बन कर वोट काटते हैं।”
प्रत्याशी ने कहते हुए सबकी ऑंखों में ऑंखें डाल कर देखने की कोशिश की तो सभी की आँखें नीचे की ओर झुकती चली गईं।