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Aishani Aishani

Abstract Drama

4  

Aishani Aishani

Abstract Drama

पीपल का वृक्ष..!

पीपल का वृक्ष..!

1 min
396


मैं...

पीपल का वृक्ष हूँ..।! 

हाँ..., 

ख़ुद की तुलना

पीपल के वृक्ष से

किया था उन्होंने...! 

पर...! 


श्मशान में खड़े

पीपल के वृक्ष से ;

उपयोगी होते हुए भी

जिसकी कोई उपयोगिता नहीं... 

जाने..., 


कितनी सदियों से

वहीं खड़ा हर आने-जाने

वालों का प्रत्यक्षदर्शी/

मुक गवाह है वो... 

क्या उपयोगिता है उसकी

इन जले/ अधजले शवों के बीच...? 

ओह...! 


उसकी पीड़ा..

लटका जाते हैं लोग

उस पर कुछ अवशेषों को... 

वो श्मशान में खड़ा

पीपल का वृक्ष...! 


आज वो... 

हमारे मध्य नहीं हैं... 

तो... 

उनकी बातें

याद आती हैं...! 

क्यों कहा था

उन्होंने स्वयं को

श्मशान में खड़ा पीपल का वृक्ष...?? 


हाँ.. .! 

बेशक../

वो पीपल वृक्ष थें

पर. .. 

श्मशान के पीपल वृक्ष नहीं

और... 

हम सब... 

कहाँ समझ पातें हैं 

पीपल के वृक्ष का महत्व

कितना सदुपयोग कर पाते हैं उसका...?


वो पीपल का वृक्ष

जो धराशायी हो चुका है

आज बहुत याद आ रहा है...! 

बहुत याद आ रहा है...!


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