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कवि धरम सिंह मालवीय

Drama

4  

कवि धरम सिंह मालवीय

Drama

बता तो ज़रा फिर तू क्या जानता है

बता तो ज़रा फिर तू क्या जानता है

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न चाहत न वादे वफ़ा जानता हैं 

न शोख़ी नज़ाक़त अदा जानता हैं


नहीं जानता यार करना मुहब्बत

बता तो ज़रा फिर तू क्या जानता हैं


जिगर है हमारा ये नादान बच्चा

फ़रेबी वफ़ा ना दगा  जानता हैं


हक़ीक़त में है किसकी तरवीर कैसी

 छुपा ले बशर आईना जानता हैं


उठाकर गिराना गिराकर उठाना 

ख़ुदा का करिश्मा ख़ुदा जानता हैं


यहाँ कौन है जिसमे नहीं है बुराई

मुझे ही जहाँ पर बुरा जानता हैं


पहुँचता सभी की नज़र से दिलों तक 

 यहाँ प्यार दिल का पता जानता हैं


बड़ा शौक है दिल दुखाने का तुझको

दिलों को दुखा पर सज़ा जानता हैं


सुनों यार नादा धरम को न समझो

 धरम दर्द का भी मज़ा जानता हैं।


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