STORYMIRROR

कवि धरम सिंह मालवीय

Drama

4  

कवि धरम सिंह मालवीय

Drama

ग़ज़ल का दिवाना

ग़ज़ल का दिवाना

1 min
424


दिवाना ग़ज़ल का ग़ज़ल गा रहा है

 सफ़र में ग़ज़ल के मज़ा आ रहा हैं


जरूरत ही क्या है हमें मयकशी की

 ग़ज़ल का हमे अब नशा छा रहा हैं


जरा तो ठहर जा बता तो ज़रा तू

अकेले अकेले  कहा जा रहा हैं


ख़ुशी की ख़ुशी का मज़ा आप जानो

गमों का ये मौषम हमें भा रहा हैं


बशर को नहीं हैं मयस्सर निवाला

गमों को बशर भूख में खा रहा हैं


 नही दे रहा जो नज़र से दिखाई 

ग़ज़ल में हमें वो नज़र आ रहा है


नहीं पा सका हैं धरम प्यार तेरा 

 मिला गम तेरा तो सुक़ूँ पा रहा हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama