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कवि धरम सिंह मालवीय

Drama

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कवि धरम सिंह मालवीय

Drama

गीतयाद  हमे वो  जब  आते हैं

गीतयाद  हमे वो  जब  आते हैं

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याद हमें वो जब आते हैं 

आँखों से तब आंसू आते हैं

भूल तभी सब विरह वेदना

गीत मिलन के हम गाते हैं


वर्षा ऋतु की बूंदों के संग

आँख से आंसू  झड़ते हैं

सर्द हवाओं के झुके जब

इस सुने मन पर पड़ते हैं

सावन के मौसम भी अब तो

तन  मन में आग लगते हैं

याद हमें वो जब आते हैं


राह दिखे न जीवन पथ की

प्रेम पथिक जब भटका रास्ता 

कोई न हो जब संगी साथी 

निज साया तब चुभने लगता

निशा अंधेरी हैं ओझल चँदा

तब वो जुगनू राह दिखाते हैं

याद हमें वो जब जब आते हैं


यार से हम है जबसे बिछड़े

नयन सूखे ओर बिखरे सपने 

औरों का क्या हाल कहूं मैं

बुरे वक्त में सब बिछड़े अपने

चाँदनी ने जब साथ है छोड़ा

तब तिमिर ही धीर बंधाते हैं

याद हमें वो जब जब आते हैं


साथ निभाने का करके वादा

साथ छोड़ वो चले जाते हैं

हृदय में वो जब प्रेम बसाकर 

हृदय विदारक वो बन जाते हैं

साथ नहीं चल सकते तो वह

राह में क्यूँ वह मिल जाते हैं

याद हमें वो जब जब आते हैं

आँखों से तब आँसू आते हैं


पानी  के बुलबुलों  के जैसे 

लगते हैं सब ये प्रेम के सपने

आज उठते कल फूट जाते है

धरम नादान है कितना जग से

अब प्रेम की आस लगाते हैं

याद हमें वो जब जब आते हैं

आँखों से तब आँसू आते है



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