आखिर ये माजरा क्या है?
आखिर ये माजरा क्या है?
रुह का
रंग नहीं, रुप नहीं
शब्द नहीं, स्पर्श नहीं
आस नहीं, प्यास नहीं
फिर ये माजरा क्या है??
जो है भी, पर कहीं नहीं
मिलती या, बिछड़ती नहीं
बुझती या, जलती नहीं
फिर ये माजरा क्या है?
जिसे ना भूख लगे... ना आग
ना राग लगे, ना वैराग
कमाती या खर्चती भी नहीं
आखिर य माजरा क्या है??
क्यों इसकी चर्चा... इसके विवाद
इसकी कसमें, इसकी दलिले
खुद है वो? या खुदा भी नहीं?
कोई तो बतलाये
आखिर ये माजरा क्या है??