ख़्वाब तो आखिर ख़्वाब है, हक़ीक़त से इसको मतलब नहीं। ख़्वाब तो आखिर ख़्वाब है, हक़ीक़त से इसको मतलब नहीं।
अपने चेहरे पर एक झूठा मुखौटा लगाए रहते हैं। अपने चेहरे पर एक झूठा मुखौटा लगाए रहते हैं।
वो एक हसीन रात का मंज़र था चारों तरफ रोशनी थी और मुलायम-सा मेरा बिस्तर। वो एक हसीन रात का मंज़र था चारों तरफ रोशनी थी और मुलायम-सा मेरा बिस्तर।
जनून की हद तक ले चल वक़्त की पतवार पे बहता चल जनून की हद तक ले चल वक़्त की पतवार पे बहता चल
मेरा ज्ञान बहुत प्रबल हुआ पता चला मैं हतज्ञान बन बैठा। मेरा ज्ञान बहुत प्रबल हुआ पता चला मैं हतज्ञान बन बैठा।