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Neelima Jain

Others

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Neelima Jain

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ख़्वाब

ख़्वाब

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दिल के किसी कोने में,

कोई झलक सी दिख जाती है

रहती है साथ हरदम,

कुछ मुस्कान सी दे जाती है

डूबे है ख़्वाब में हर पल,

ख्याल भी हर पल एक ही है।


ख़्वाब में आते है ख़्वाब,

ख़्वाबों की सी दुनिया है।

ख़्वाबों में होती है बातें और

ख़्वाबों में ही रूठा जाता है

और फिर मनाया भी जाता है

ख़्वाबों में,

मानो ख़्वाबों की ही ये दुनिया है


ख़्वाबों में ही जी लेते है,

सपने जो खुली आँखों के थे

हँस लेते है ख़्वाबों में ही,

खिलखिलाते भी तो है

ख़्वाबों में ही

रो भी लेते है अक्सर,

आँख के खुल जाने पर

पोंछ लेते है आँसू खुद ही,

ख़्वाब के टूट जाने पर।


पर ये जो ख़्वाब है,

ये मेरा अपना है।

किसी और का इस

पर हक़ नहीं

ये मेरी ही अपनी जागीर है,

मुझे किसी और की

जरूरत भी नहीं

ख़्वाब तो आखिर ख़्वाब है,

हक़ीक़त से इसको मतलब नहीं।


दिखाता है बंद आँखों से सपने,

ज़िन्दगी में इसके कोई गर्दिश नहीं

बह चले थे हम भी कुछ दूर,

ख़्वाबों की इस दुनिया में

खो गए थे हम भी, न जाने

फिर से किन वादियो में

वक़्त है अब उठ जाने का,

सपनों से वापस आ जाने का ।


ये दुनिया बहुत लुभानी है,

डर लगता है इसमें खो जाने का

रहेगा साथ हरदम,

ये ख़्वाब जो मेरा अपना था।

खुली आँखों से देखना है

इस बार वो ख़्वाब

जो मेरा अपना है।


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