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Neelima Jain

Inspirational

4.9  

Neelima Jain

Inspirational

आज

आज

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चलो जी ले ज़िन्दगी को आज खुल के,

पता नहीं कहाँ ले जाये ये कल हमें।

जो है हाथ में अभी वो बस आज ही है,

कल का क्या भरोसा वो है भी या नहीं है।


छोड़ आये जो बचपन की सुनहरी यादें पीछे,

चलो जी लेते है उन्ही लम्हों को फिर से।

वो मुस्कुराना, वो खिलखिलाना,

वो मासूम बचपन और वो हमारा चहचहाना।


क्यों न आज भूल जाये कुछ पल के लिए खुद को,

और लौट जाये फिर से उसी मासूमियत में।

उसी हंसी को उसी ख़ुशी को,

जी ले फिर से हम उसी बचपन को।


खुद को ही सिखा दे फिर जीना दोबारा,

भुला दे मिटा दे जो गम है वो सारा।

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lor: rgb(108, 108, 108);">क्यों है रे मानस तुझे कल की चिंता,

क्यों है रे पगले तुझे आज ये परेशानी।


कल तो है ही नहीं हाथ में तेरे,

जो है वो आज है, इसे आज ही तू जी ले।

जरा खोल के देख बचपन का पिटारा,

दिखेगा वहाँ क्या खूबसूरत नज़ारा।


वहां न कल की चिंता न आज की परेशानी,

वहां तो है बस खुश रहने की मनमानी।

क्यों न आज ज़िद करे खुद ही से,

रहना है खुश और जीना ख़ुशी से।


बेबस होगा कल फिर तेरी ज़िद के आगे,

गिरेंगी खुशियां फिर झोली में आके।

चलो जी ले ज़िन्दगी को आज खुल के,

ले ही आएगा ये कल फिर खुशियां भर के


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