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Neeraj pal

Inspirational

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Neeraj pal

Inspirational

विपदा।

विपदा।

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"विपदाओं" ने प्रभु ऐसा डाला डेरा, चहुदिश अब फैला है अंधेरा।

 हे ! विघ्नहर्ता समर्थ गुरु तुम मेरे, प्रकाशित कर दो मन अब मेरा।।


 हिम्मत, धैर्य और साहस ने भी, अंतर्मन को कहीं और है मोड़ा।

 श्रद्धा, विश्वास तो धूमिल पड़ता, आस्तिकता ने भी साथ है छोड़ा।।


 चिंता ग्रस्त हुआ अब जाता जीवन, पड़ा हुआ हूँ शरण तुम्हारे।

 पता नहीं कब दीदार होंगे, डूबती नैया के तुम ही हो सहारे।।


 सत्संग सुधा रस का पान कराया, जिसने जीने की है कला सिखाई।

व्याकुल हृदय अब तरस रहा है, अब कैसे हो तुम से मिलाई।।


 अब तो "गुरुवर" कुछ तरस तो खाओ, अब इतना ना हमको रुलाओ।

नीरज" की है करबद्ध प्रार्थना, भटके को कुछ तो राह दिखलाओ।।


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