नया साल
नया साल
होने को बेताब है एक
नयी सुबह,
चमक रही है देखो नए
साल की पहली किरण।
ला रही है साथ कुछ नयी
उम्मीद,
उठ रही है मन में ये कैसी
तरंग।
आगाज़ है ये वक्त के एक
नए सफ़र का,
अंजाम भी तो बुरा न था
पिछली दफा का।
सिखा गया मुस्कुराना और
खिलखिलाना,
ज़िन्दगी के इन लम्हों को
खुल के जीना।
ऊँची नीची राहें और ये
मुश्किल डगर,
चलता जायेगा यूँ ही जीवन
का सफ़र।
चलना हमें भी तो है यूँ ही
हँसकर,
खिलखिलाकर मुस्कुराकर,
खुल के जी कर।
वक्त के सफ़र का एक
और छोर,
जा रहा है क्या पता जाने
किस ओर।
ले आये न जाने क्या मुट्ठी
में भर कर,
उमंग लिए झाँक रहे है
कुछ दूर बढ़कर।
उम्मीद है लाएगी ख़ुशियाँ
ये नयी सुबह,
मिलेगी फिर से मुस्कुराने
की कुछ नयी वज़ह।
यूँ ही चलता जाए ये जीवन
का सफ़र,
चल चलेंगे हम भी इसमें
यूँ ही बह कर।
शुभकामनाएं है नए वर्ष में
कुछ मेरी तरफ से,
आये ख़ुशियाँ भर भर के
आँगन में आपके।