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Neelima Jain

Abstract

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Neelima Jain

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विवाह के ये सुहाने साल

विवाह के ये सुहाने साल

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लड़ते झगड़ते न जाने कब ये,

बीत गए सुहाने साल

कुछ हमने कहा और तुमने सुना,

कुछ तुमने कहा वो हमने सुना


सुनते सुनाते हँसते हंसाते,

चले संग हम वक़्त की चाल

सफर जो ये है बड़ा बहुत,

और बिताना आसान कहाँ


गर जिया जाए ईबादत से,

फिर ये मुश्क़िल भी कहाँ

ख्वाहिशें है जीने की साथ,

चलने की उस हँसी सफ़र पर


छू लेने की उन सितारों को,

समा लेने की झोली में गुलो को

आसमाँ में उड़ना भी तो है,

समंदर में तैरना भी तो है


क़ुदरत की हसीन वादियों में,

और फिर खो जाना भी तो है

करती हूं दुआ ये ही,

साल दर साल, बीते सुहाने साल


हंसो तुम और गाऊँ मैं,

चले संग हम वक़्त की चाल।


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