दिल की धड़कन
दिल की धड़कन
सोलाहवाँ लगा था साल
जब पहली बार
महसूस हुई दिल की धड़कन।
तुम दिल बने और मैं धड़कन
फिर एक हुई
दोनों दिलों की धड़कन।
मुहब्बत के इज़हार पर
जैसे हामी भर रही
तुम्हारी झुकी हुई गरदन।
आई जब रात मिलन की
उत्तेजित हुआ ह्रदय का स्पंदन,
तेज़ हुई दिल की धड़कन।
अब जब सरहद पर तैनात,
गोलियों के शोर में भी
सुनाई देती तुम्हारे
व्याकूल दिल की धड़कन।
वादा किया था तुमसे
सबको मात देकर आऊँगा,
सुनने तुम्हारे गर्भ में पलते
अपने सपने की धड़कन।
मुझ निहत्थे पर वार करने
देखो आ रही पूरी पलटन
नहीं अब और टिक पाऊँगा
बंद हो रही दिल की धड़कन।
तुम न सोचना झूठा हूँ मैं
देशवासियों के लिए
फ़ना हो रही है
ये तुम्हारे दिल की धड़कन!
