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अम्मा

अम्मा

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कितनी भीगी आँखे? कितने दिल नरम है!

''अम्मा" तेरे जाने का सबको कितना गम है।

प्यार ही प्यार देकर सबको जाने कहाँ खो गई?

जगा-जगा कर हर एक बालक देखो "अम्मा" सो गई।

मन्द-मन्द सी मुस्काती, लफ़्ज़ों से फूल से गिरते थे।

जब-जब अम्मा हाथ उठाती जनमत उठते गिरते थे।

सहयोगी थी, सहभागी थी गरीबो की तुम साथी थी।

कौन सम्भालेगा अब सबको तुम ही तो इन्हे समझाती थी।

कितने तूफानो को झेला आज तूफान की तरह चली गई

तन्हा रही पर अडिग रही आज सबको तन्हा कर गई।

कौन कहता है कि सच है? कफन मे जेब न लग पाती है।

सांसे भले साथ छोड़ दे भलाई बुराई ही साथ जाती है।

"अम्मा" अपना साथ यहीं था इतना तुझ पर हक मेरा था

आगे अकेले जाना तुझको ये सफर तो बस तेरा था।


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