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Gaurav Sharma

Comedy

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Gaurav Sharma

Comedy

झल्लो की आशिकी

झल्लो की आशिकी

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इस कमबख्त दिल को किन्नी वारी समझाया

हसीनों को मत किया कर बोर

पर ये है कि मानता नहीं

जिद पर अड़ा है कि ये दिल मांगे मोर

अब मोर ठहरा राष्ट्रीय पक्षी

पकड़ कर लाये कैसे

इस दिल को तो समझा ले पर

सामने वाली हसीना को पटाये कैसे?

सुना है उनके आशिक ए जमाल सरे बाजार बैठे हैं।

हम भी आशिकों के बाप हैं मुंडवा के सारे बाल बैठे हैं।

हद तो तब हो गयी जब वो बोली पहले से ही कोई मेरी राह तकता है।

हम भी दिलजले से बोल दिया दो-चार से कम क्या आपका काम चलता है?

झल्ला गयी, बिफर गयी टूट पड़ी मुझ पर, बोली कि तेरे जैसे मेरे पीछे बहुतेरे हैं।

हम ने भी मुस्करा कर कहा जानेमन हम जैसे है, बस तेरे हैं।

यार हम तो गम के कवि थे आपने हास्य का बना दिया

हँसा-हँसा कर आपने सब रस-छंद-अलंकार भुला दिया।

 


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