ग़ज़ल
ग़ज़ल
कभी तो हमारी निगाहें मिलेगी
निगाहों में उनकी खतायें मिलेंगी
वफ़ा का तुझे यार एहसास होगा
तुझे वेवफा जब सज़ाऐ मिलेगी
मिले जो कभी वक्त आना यहाँ पर
तुझे ख़ैर-मक़्दम को बाहें मिलेंगी
यही सोचकर था लगाया यहाँ दिल
दिलो को दिलों की पनाहे मिलेंगी
बुज़ुर्गो की अज़मत तू करना हमेशा
बुजुर्गों से तुझको दुआएं मिलेगी
अना का दिया तुम जलाओगे जब जब
बुझाने को वेरन हवाएं मिलेगी
तिमर में सदा तू चरागे जलाना
तुझे यार रौशन फिज़ाये मिलेंगी
कभी माँग लो साथ तुम जो किसी से
तुझे बस यहाँ पर सलाहें मिलेंगी
धर्म याद रखना हमेशा खुदा को
खुदा की तुझे भी पनाहें मिलेंगी।