STORYMIRROR

कवि धरम सिंह मालवीय

Drama

4  

कवि धरम सिंह मालवीय

Drama

ग़ज़ल

ग़ज़ल

1 min
376

कभी  तो  हमारी निगाहें मिलेगी 

निगाहों में उनकी खतायें मिलेंगी


वफ़ा का तुझे यार एहसास होगा

तुझे वेवफा  जब सज़ाऐ मिलेगी


मिले जो कभी वक्त आना यहाँ पर 

तुझे ख़ैर-मक़्दम  को बाहें मिलेंगी


यही सोचकर था लगाया यहाँ दिल

दिलो को दिलों की पनाहे मिलेंगी


बुज़ुर्गो की अज़मत तू करना हमेशा 

बुजुर्गों से तुझको दुआएं मिलेगी


अना का दिया तुम जलाओगे जब जब 

बुझाने  को  वेरन  हवाएं  मिलेगी 


तिमर  में सदा तू चरागे जलाना 

तुझे यार रौशन फिज़ाये मिलेंगी


कभी माँग लो साथ तुम जो किसी से

तुझे बस यहाँ पर सलाहें मिलेंगी


धर्म याद रखना हमेशा खुदा को

खुदा की तुझे भी पनाहें मिलेंगी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama