रहस्य
रहस्य
चारों ओर डर और सन्नाटा था...
आजूबाजू जंगल ही था...
हरेभरे पेड़ थे, कुछ बड़े, कुछ छोटे पौधे...
और पेड़ों से, अनगिनत पक्षियों की आवाज...
और साथ...
एक जानी पहचानी आवाज...
जो मुझे पुकार रही थी...
पर तुम कहीं नजर नहीं आ रही थी...
चारों ओर डर और सन्नाटा था।