मित्र फिक्र तेरी
मित्र फिक्र तेरी
फिक्र तो बहुत है, मुझे मित्र तेरी
जब भी आती तेरे गम शब अंधेरी
भर आती, आँख दरिया से गहरी
कुछ ऐसी है, मित्र दोस्ती तेरी मेरी
चुभता है, तेरे पांव में कोई कांटा
हृदय से वेदना निकल आती मेरी
चाहे यह सारा जग बने तेरा बेरी
फिर भी साथ देंगे, हम तो सुनहरी
फिक्र तो बहुत है, मुझे मित्र तेरी
तेरे लिये जान भी हाजिर है, मेरी
तेरे गम से होती रहे, मुलाकात मेरी
यही दुआ है, खुदा से हरपल मेरी
तू ख़ूब उन्नति करे, यह इच्छा मेरी
तेरी खुशियों में शरीक रहूं न रहूं
तेरे दुःख में रहे, प्रथम जगह मेरी
साथ दूंगा तेरा, कभी न होगी देरी
तब तक लूंगा, तेरे गम से टक्कर
जब तक जिस्म में जान है, मेरी
फिक्र तो बहुत है, मुझे मित्र तेरी
तू मेरा शीशा है, में हूं तस्वीर तेरी।