कल यूँ ही हँसते-हँसते रो गये हम !
कल यूँ ही हँसते-हँसते रो गये हम !
कल यूँ ही हँसते-हँसते रो
गये हम,
जागते-जागते ना जाने कब सो गये हम,
उसकी बाहों में खो गये हम,
अजीब सा सिलसिला हैं ये
मोहब्बत का,
किसी से खोकर किसी के हो गये हम,
कल यूँ ही हसते-हसते रो
गये हम !
अब आईने में अपनी सूरत प्यारी नहीं लगती,
काश ऐ ख़ुदा किसी को मोहब्बत
की बीमारी ना लगती,
कैसे थे अब कैसे हो गये हम,
कल यूँ ही हसते-हसते रो
गये हम !
कोई अपना ज़ब अचानक खो जाये,
हर दवा भी जख़्म हो जाये,
सुख की हर खिड़कियों पे
दुःख की आँधियाँ मड़राये,
ऐसे आलम में भी उनके हो गये हम,
कल यूँ ही हँसते-हँसते रो गये हम !