टकराहट
टकराहट
आज सुबह-सुबह
अंह से अंह की टकराहट हुई
माथे पर तेवर चढ़े
चेहरे लाल हुऐ
आंखें अंगारे बरसाने लगी
सांस तेज चलने लगी
वातावरण गर्म
बर्तन टूटे
बड़ाम-बड़ाम
दरवाज़ों को
ताले लगे
बिना नाश्ता किए
दोनों अपने अपने
आफिस चल पड़े।
ऑफिस में एक अंह से पूछा गया
चेहरे की रौनक कहां गई
क्या बीवी से पिटाई हुई ?
दूसरे आफिस में
दूसरे अंह से पूछा गया
फीके चेहरे का कारण?
ऑफिस टेबल पर काम नहीं
तू तू मैं मैं के बारे में
सोचा गया
गलती को पहचाना गया।
मियां बीवी की लड़ाई का
विशेष कारण थोड़े ही होता है।
बस अंह होता है।
संध्या समय दोनों मिले
सोचा था
सब नॉर्मल हो जाएगा।
थोड़ा सा नॉर्मल होने की
कोशिश भी की गई।
मुस्कुराहट भी लाने की
कोशिश की गई।
बात बनी नहीं
भोहें तनी
खुली, तनी
खुली और फिर तन गई।