आकार
आकार
एक कहानी दिल को छू गई,
किसी की ज़िन्दगी परदे की कहानी बन गई।।
माटी की मूरत को आकार मिला है,
भटके से फनकार को आज एक मंच मिला है,
हुनर अदाकारी और अदाएँ बे पाक है,
कलाकार खड़ा है मंच पर
सारी सल्तनत का बादशाह वो आज है।।
एक कहानी दिल को छू गई,
किसी की ज़िन्दगी परदे की कहानी बन गई।।
भीतर है ज़ाहिर करने को बहुत कुछ,
एक हुनरबाज ने अदाओं के पीछे छिपाया है बहुत कुछ,
मंच पर एक तमाशा ख़तम जब हुआ,
एक अदाकार ने अपनी कला को
ज़माने के नाम किया।।
एक कहानी दिल को छू गई,
किसी की ज़िन्दगी परदे की कहानी बन गई।।
ज़िन्दगी के इस खेल के हम सब प्यादे हैं,
किसी के हाथ हार किसी के हाथ जीत के लम्हे है,
आओ सरे आम अपनी ख्वाहिशों का एलान कर दे,
चलो एक और कहानी को मंच दे दे।।