जिंदगी
जिंदगी
संभाले संभलती नहीं जिंदगी
ख्वाबों की तरह सुबह बदलती ज़िंदगी
मुझे भी कोई एक सपना दिला दे
क्यों मेरे संग टहलती नहीं आई ज़िंदगी।
मिली थी जब सिरहाने एक ख़ुशी
लबों पे हंसी छाई और भाई ज़िंदगी
मुझे भी अपने सिरहाने सुला दे
क्यों मुझसे दूर जा अंगड़ाई ज़िंदगी।
मुझे भी बहारों का शोक है गुलिस्तां
कितनी बार खुशबू तू लाई ज़िंदगी
मुझे अब तू रहने दे महकता ही
क्यों खिज़ा का मौसम तू ले आई जिंसदी।