STORYMIRROR

Tanha Shayar Hu Yash

Drama Tragedy Classics

4  

Tanha Shayar Hu Yash

Drama Tragedy Classics

जिंदगी

जिंदगी

1 min
251

संभाले संभलती नहीं जिंदगी

ख्वाबों की तरह सुबह बदलती ज़िंदगी

मुझे भी कोई एक सपना दिला दे

क्यों मेरे संग टहलती नहीं आई ज़िंदगी। 


मिली थी जब सिरहाने एक ख़ुशी

लबों पे हंसी छाई और भाई ज़िंदगी

मुझे भी अपने सिरहाने सुला दे

क्यों मुझसे दूर जा अंगड़ाई ज़िंदगी। 


मुझे भी बहारों का शोक है गुलिस्तां

कितनी बार खुशबू तू लाई ज़िंदगी

मुझे अब तू रहने दे महकता ही

क्यों खिज़ा का मौसम तू ले आई जिंसदी। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama