STORYMIRROR

Archana k. Shankar

Drama Romance Others

4  

Archana k. Shankar

Drama Romance Others

वो पूष की रात थी!!

वो पूष की रात थी!!

1 min
461

वो पूष की रात थी

चाँद उतर आया था मेरे आँगन में

कोहरे की चादर में लिपटा!

रात थोड़ी तो ढलकी!

मदहोश सी मैं थोड़ी बहकी!

तेरे यादों का कारवाँ सजा..

मैं दुल्हन बनी..

वो सर्द रात थी..

जलते अलाव के इर्द-गिर्द 

तेरे साथ फेरे लिए मैंने

फ़िर क्यों सब कहते हैं कि..

तुम नहीं रहे अब...! 

देश की माटी मे सो गए थे.. 

कहते हैं सब.. 

अब नहीं रहे तुम! 

लेकिन मेरी यादों में तुम कहां सोये? 

झिलमिलाते ख्वाबों का तेरे साथ हर रात मेला लगाती हूँ 

कुछ खरीदती हूँ कुछ बेच देती हूँ.. 

फ़िर क्यों सब कहते हैं कि तुम नहीं रहे मेरे साथ!!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama