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Anita Sharma

Drama Tragedy

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Anita Sharma

Drama Tragedy

6 गज

6 गज

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कोई पास ना गया

निर्जीव देह मानकर;

अर्धनग्न अवस्था

भ्रम बड़ा रही थी;

कुछ शोक भी था

बुद्धिजीवियों में !


आखिर फिर भी

ना जाने क्यों…

आँखों पर वज़न रखे

गैरत नज़रें झुकाये

खुद से लजा रही थी।


तो क्या...किसी की

हिम्मत न थी

सामना करने की;

ना मालूम…?

चेहरा खुद का था छुपाना

या उसके...

चेहरे से परहेज़ था।


गुज़रती भेड़चाल को अब

उसके…!

करीब जाने से गुरेज़ था

लेकिन बेसुध सी स्त्री

प्रीत बुन रही थी

उस अर्ध विक्षिप्त हालत में

नेह के गीत सुन रही थी

सुना है 6 गज में लिपटी

कभी बेहद सुन्दर लगती थी।


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