नही कोई तुमसा है.....
नही कोई तुमसा है.....
सारे ज़माने में, नहीं कोई तुम सा है,
तू है बहार भी, तू ही खुद गुलिस्ताँ है।
पंकज में तू, खुशबू सी वाबस्ता है।
सारे ज़माने में, नहीं कोई तुमसा है…..
जबसे तेरी आँखों से, हो गया दो-चार,
मेरी तन्हा आँखों में, बस गया है प्यार।
तेरे ही ख़्वाबों में, दिल अब खोया रहता है।
पंकज में तू, खुशबू सी वाबस्ता है।
सारे ज़माने में, नहीं कोई तुम सा है…..
भोली-भाली नटखट, अल्हड़ तू कमाल,
तेरी सादी काया की, क्या दूँ मैं मिसाल।
तेरी अदाओं पर, प्यार ही प्यार बरसता है।
पंकज में तू, खुशबू सी वाबस्ता है।
सारे ज़माने में, नहीं कोई तुम सा है…..
मेरे पतझड़ जीवन में, तू आयी बन के बहार,
हर पल है अब सावन, तू है रिमझिम फुहार।
मैं तो तपता दिन हूँ, तू रातों की शीतलता है।
पंकज में तू, खुशबू सी वाबस्ता है।
सारे ज़माने में, नहीं कोई तुमसा है…..
तेरे मेरे ख़्वाबों की, जल्द ही होगी पूरी ताबीर,
मेरी छाया होगी वो, और होगी वो तेरी तस्वीर।
हम दोनों का प्यार, होनी उसकी जीवन गीता है।
पंकज में तू, खुशबू सी वाबस्ता है।
सारे ज़माने में, नहीं कोई तुम सा है…..