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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Tragedy Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Tragedy Inspirational

"चरित्र उजाला"

"चरित्र उजाला"

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चरित्रहीनो का हो गया है, इस जग में बोलबाला

चरित्रवानों के मुंह पर लगा हुआ है, आज ताला

बदबुदार, कीचड़ अंदर पत्थर कौन फेंके साला

दूर रहेंगे तो भी छींटे आएंगे, दाग लगेगा काला


आज अंधेरे कारण गुमसुम हो गया है, उजाला

शातिरों की दुनिया मे उलझा, साखी भोलाभाला

लोग उसे तवज्जो देते, जिसका चरित्र, दागवाला

बेदाग चरित्र वाला इंसान लगता सबको, भाला


मेहनत का नही, बेईमानी का भा रहा, निवाला

कोई न रहा, आजकल सत्य पथ पर चलने वाला

जो सत्य पर चले, लोग उसे पगला कहते लाला

सत्य फूलों की नहीं, झूठे फूलों की पसंद माला


सत्य फूल हेतु, चाहिए, जिगर शूल सहनेवाला

मूर्खों की सभा में विद्वान कब है, बोलनेवाला

उसको ही कहते है, साखी जग में हिम्मतवाला

जो इंद्रियों प्रवाह रोक, बनता अडिग हिमाला


कई सर्प लपेटे तो, भी चंदन न खुश्बू छोड़नेवाला

जो करे भक्ति बाला, उसे क्या झुकाये, जग साला

जो नित जपे नाम हनुमाना, लगाये लंगोट ताला

उसका तो फिर बाल भी बांका कर सके ज़माना


जो अपनी भक्ति में दृढ़, चरित्र का हो, धनवाना

जिसकी रोम-रोम मे बसा प्रभु बालाजी, भगवाना

काल ओर दुःख का, वहां न होता है, आना-जाना

जो अपने चरित्र और उद्देश्य में दृढ़ निश्चयवाला


वो दीप नही खुद सूर्य है, जो देता, अक्षय उजाला

वो खोल सकता है, हर, दुःख मुसीबत का ताला

जिसके इरादों में है, सच्चाई और चरित्र है, आला

उसके चरित्र से तो अँधेरा भी बनता है, उजाला।



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