ज़िन्दगी मौत 🌷
ज़िन्दगी मौत 🌷
जब भी उठे हाथ मेरे, तेरी दुआ में !
हर बार हटा लिए तेरे करम से !
अब न उठेंगे कभी ये कुछ माँगने को,
माना की जिंदगी है तेरे ही करम से,
मैं छीन के लाऊँगी मौत तेरे हाथ से !
ज़िन्दगी, कितना ख़ूबसूरत शब्द है,
अंदर से कितना बदसूरत,
चाहे किसी किसी के लिए वरदान है,
अपवाद तो हर बात का है !
एक पहलू तो बड़ा ही सुन्दर है,
तमाम रिश्ते नाते प्यार खुशियाँ सब मिलते हैं,
और हम समझते हैं कि,
इनमें से कुछ समय के साथ हम खो देंगे !
अभिशाप बन जाती है ये जब हम,
समय से पूर्व ही खोना शुरू कर देते हैं,
और संभलने का मौका द
िए बिना दूसरा,
फिर तीसरा और ये सिलसिला रुकता ही नहीं !
मैं पूछती हूँ अगर तू सचमुच कहीं है,
तो क्या जरुरत थी इतने लोग और इतना प्यार,
देने की जब छीनना ही था ?
मौत, कितना बुरा शब्द है,
लोग नाम नहीं लेना चाहते, डरते हैं !
परन्तु वास्तविकता क्या है ?
मौत मतलब हर तकलीफ़, हर ग़म,
हर एहसास, हर दर्द से परे,
न पाने ख़ुशी न खोने का ग़म,
इससे ख़ूबसूरत क्या हो सकता है ?
इसका एहसास शायद वही कर सकते हैं,
जिन्होंने ये सब जिया है !
हर बार दर्द सहकर मैंने तो यही सीखा,
"मौत तू एक ख़ूबसूरत कविता है
जिसे मैं रोज गुनगुनाऊँगी जब तक तू आ नहीं जाती।"