जीवन
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कुछ यूँ हो जाया करता है, जीने की चाहत खो जाती है
यूँ लगता है सब झूठा है, बस मौत ही अपनी होती है
जब समझो की ये अपने है, बेगानों सा दुःख दे जाते हैं
जब लगता है ये ख़ुशियाँ हैं, ग़म सामने से आ जाते हैं
शायद ज़िंदगी यही है न हँसने दे ना रोने दे
पल पल घुट घुट कर मजबूर करे जीने पर ये !!