बाबुल
बाबुल
बाबुल मेरे तेरी छोटी सी बिट्टी थी मैं
तेरी ऊँगली पकड़ कर चलती थी मैं !
अम्मा की बात ना सुनती थी जल्दी मैं
तेरी एक पुकार से नींद से उठ जाती मैं !
मेरी साइकिल को पीछे से पकड़ दौड़े तुम
हर बार गिरने से पहले ही थाम लिए तुम !
फिर क्या हुआ जो किसी और को सौंप दिए
क्यों न रोक लिया अम्मा को, मेरी बिटिया छोटी है !
नहीं जान पाए बाबुल मेरे, क्या गुजरी तेरी बिटिया पर
शायद तुम्हें पत
ा था मुझे छोड़ इतनी जल्दी चल दोगे !
क्यों चले गए मेरे बाबुल, आज भी मेरी आँखे रोती हैं
किससे कहूँ दुःख अपने, एक दामन को तरसती हैं !
इतनी जल्दी क्या थी अम्मा, भईया लोगों दीदी सबको
क्या मैं इतनी बुरी थी की मुझे छोड़ दिया आप सबने
नहीं मैं बुरी नहीं पापा आपके सिखाए रास्तों पर ही हूँ !
छल कपट झूठ दिखावे सबसे दूर हूँ नफ़रत नहीं करती
अब तो मुझे भी लेके चलो मेरे बाबुल
तेरी बिट्टी सबसे अलग नहीं रहना चाहती !