तुम जब आना
तुम जब आना
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तुम जब आना तो अपने साथ
मुट्ठी भर धूप लेकर आना
दिया बनकर मत आना
मेरे अन्तस का अँधेरा मिटने से पहले
हवा के झोंकों से ही बुझ जाओ !
तुम जब आना तो पत्तों पर पड़ी
ओस बनकर मत आना
मेरे तपते हुए मन के शीतल होने से पहले
सूरज की एक किरण से
भाप बनकर उड़ जाओ !
तुम आना बारिशों का पानी बनकर
धरती से उठती सोंधी सुगंध की तरह
चारों ओर फैल जाना, सुनो
जब तुम आना छोड़ के ना जाना
दुआओं में, ज़िंदगी भर का साथ नहीं माँगा है
तुम साथ रहो बस तब तक की ज़िंदगी माँगा है !!
सुनो ! तुम जब आना, आओगे न !