एहसास
एहसास
जाने क्या है
सब हैं लेकिन ये अकेलापन !
समझ नहीं आता क्यों ?
कोई ख़्वाहिश ही नहीं
एक शून्य सा
हर शय से मोहभंग
जाने क्या है।
जिसको भी बहुत प्यार किया
उसने ही उतना दुःख दिया
छोड़ मुझे वो चल दिया
कोई दुनिया छोड़ गया।
जाने क्या है
किसी ने मुझे समझा ही नहीं
ये मन कुछ समझने लायक
बचा ही नहीं।
समझाने को सब है
समझने को कोई नहीं !
शायद एक बेकार
बिना काम का सामान !
जाने क्या है,
किसी को जरुरत ही नहीं !