STORYMIRROR

Shahid Kazi

Drama Inspirational

4  

Shahid Kazi

Drama Inspirational

अक्स

अक्स

1 min
249

आईने से पुछा मैंने आज

तुझे तो दिखते हर किसी के राज़

खुशी तो दिखाता हर कोई यहां पे

सच्चाई की परख छिपी तेरे ही जहान में 

क्या दिखता तुझे हर एक अक्स में बता

लोगों के चेहरों से पर्दा तो हटा ॥


जैसा जो दिखता ना होता वो कभी

लबों पे जो हर्फ़ वो दिल में है नहीं 

दर्द हर किसी में बसा है ये सबको पता

आईने का सच रखते अपनों से लापता

जो न होता गर ये ज़िन्दगी में हमारे

जाने कहां से लाते सब जीने के सहारे ॥


आईने से तो कहते दिल के हर अरमान

यही तो होता हल्का दर्द का समान

यही से तो मिलती एक ताक़त सी अनकही 

 इसी ने तो सुनी तुम्हारे रूह की कही 

 काश के हम अपनों से कर पाते बयान

 गम हो जाते कम खुशियों में बस्ता जहान ॥


आईने के सार पर छिपाते सपने कई 

कह जो देते इन्हें ज़िन्दगी होती और कही 

साथी जो मिल जाए के फिर न हो अपने अक्स से बात 

आंसू हो या हँसी बाट सको जिसके साथ

ना डर ना शिकवा ना गम की हो बरसात 

जिस दिन समझ जाओ जुड़ जाओगे ज़िन्दगी के साथ ॥


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama