अक्स
अक्स
आईने से पुछा मैंने आज
तुझे तो दिखते हर किसी के राज़
खुशी तो दिखाता हर कोई यहां पे
सच्चाई की परख छिपी तेरे ही जहान में
क्या दिखता तुझे हर एक अक्स में बता
लोगों के चेहरों से पर्दा तो हटा ॥
जैसा जो दिखता ना होता वो कभी
लबों पे जो हर्फ़ वो दिल में है नहीं
दर्द हर किसी में बसा है ये सबको पता
आईने का सच रखते अपनों से लापता
जो न होता गर ये ज़िन्दगी में हमारे
जाने कहां से लाते सब जीने के सहारे ॥
आईने से तो कहते दिल के हर अरमान
यही तो होता हल्का दर्द का समान
यही से तो मिलती एक ताक़त सी अनकही
इसी ने तो सुनी तुम्हारे रूह की कही
काश के हम अपनों से कर पाते बयान
गम हो जाते कम खुशियों में बस्ता जहान ॥
आईने के सार पर छिपाते सपने कई
कह जो देते इन्हें ज़िन्दगी होती और कही
साथी जो मिल जाए के फिर न हो अपने अक्स से बात
आंसू हो या हँसी बाट सको जिसके साथ
ना डर ना शिकवा ना गम की हो बरसात
जिस दिन समझ जाओ जुड़ जाओगे ज़िन्दगी के साथ ॥