माँ
माँ
तुझसे ही तो सीखे हमने अपने पहले अक्षर
तेरे ही तो सिखाये पाया हमने अपना ज्ञान।।
थोड़ा सा जो डाँट भी देती भले ही डर जाते हम
उसी डाँट के ही तो चलते बन पाए अच्छे इंसान।।
गणित हो या विज्ञान - भूगोल
जब भी होता पढाई से डब्बा गोल।।
कभी मिलती तुझसे अपार ज्ञान की बारिश
कभी डराके देती दिमाग के धागे खोल।।
हर उस याद को कभी न पाएंगे भूल
तेरी यही खट्टी मीठी बातें बनती इन्हे अनमोल।।
प्यार था तेरा के कर पाए ज़िन्दगी में कुछ नाम
फिर चाहे वो घर हो या फिर हो दफ्तर का काम।।
तुझी से तो मिली हमे ममता की सही परख
बन पाएं अच्छे माता पिता जब आये हमारी संतान।।
कहने साड़ी बातें लग जायेंगे दिन और रात
गम थी या खुशियां सब ही में था तेरा साथ।।
बन जाएँ तुझसे हम ऐसी हो हमारी पहचान
के ख़ुशी से फूले सीना जब कोई कहे
ये तो है बिलकुल अपने माँ के समान।।