हसरत
हसरत
एक सीधी सी ज़िन्दगी की चाह थी
पर नसीब में लिखी एक अलग ही राह थी ॥
छोटी सी दुनिया में खुश था मेरा जहाँ
कर बैठे इश्क़ जाने कब जाने कहाँ ॥
शायरी लिख अपने अरमान दुनिया जहाँ को बताते
सामने उनके ना जाने क्यूँ लब सिल से जाते ॥
आँखों में एक कशिश छुपा रखे हम
दिल की हसरत दिल ही में दबा रखे हम ॥
काश! थोड़ी सी हिम्मत कभी जुटा पाते
कुछ हसीन यादें साथ उनके हम बना पाते ॥
मन जो कर भी देते वह तो क्या
काम से काम अफ़सोस में तो हर दिन ना बिताते ॥