अकेले
अकेले
राहों में खड़े है अकेले
इंतज़ार में किसी के
सपनों में जीते है वो दिन
दीदार हो जब किसी के ॥
ख्यालों में थमा था हाथ
ज़िन्दगी ने न अपनाया
एक छोटी सी अपनी दुनिया की चाह थी
सच तो वो भी न हो पाया ॥
जागते सोते आँखों में कुछ अरमान
हर पल हर लम्हे वही मेरा जहान
कह देते दिल की हर छुपी दास्तान
सामने उनके कमबख़्त लड़खड़ाती जुबां ॥
हिम्मत जो कर दूँ हो दिन एक ऐसा भी
कह दूँ दिल की बात हर छोटी बड़ी भी ॥
आँखें खुली तो पाया
हाथ बढ़ाये खड़े थे
सपनों में थामा था हाथ
ज़िन्दगी में बस अकेले ही खड़े थे ॥
