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Shahid Kazi

Drama Romance Tragedy

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Shahid Kazi

Drama Romance Tragedy

साथ

साथ

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आँखें नम गहराइयों में छुपाके अपने गम

आसुओं को अपने रोकती क्यूँ है ये बता।।

बह गए जो थोड़े से दिल का बोझ होगा कम

दर्द अपना बताती नहीं मरहम तो तू बता।।


चाहे तू कुछ कहे चाहे दबे रहे अलफ़ाज़

नहीं तेरी किसी भी ज़रुरत से हमें ऐतराज़।।

साथ खड़े है तेरे तू बस ये जान ले 

इस ख़ामोशी को समझते है बस ये मान ले।।


वक़्त का काटा बढ़ता चलेगा ना रुकता ये कभी

अच्छा या बुरा आगे चले छोड़ पीछे सभी।।

फितरत नहीं है अपनी दर्द में ज़िन्दगी बिताना 

बीते लम्हे छोड़ अपने कल से है हाथ मिलाना।।


हँसी को तेरी तरस रहे है मौसम सभी 

बादलों पार दिख जाये सूरज जैसे कभी।।

पलकों की कशिश में दिखता बदमस्त जहान 

आँसुओं के पार लिख एक नयी खूबसूरत दास्तान।।


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