अँधेरे में परछाई-सी, मैं भावना हूँ...! अँधेरे में परछाई-सी, मैं भावना हूँ...!
सब सुख तुम्हें मिले, प्रभु से यह मेरा मूक निवेदन है। सब सुख तुम्हें मिले, प्रभु से यह मेरा मूक निवेदन है।
ईश्वर,अल्लाह सब माँ के ही चरणों में रहते हैं! ईश्वर,अल्लाह सब माँ के ही चरणों में रहते हैं!
अब भी जनक सुता अयोध्या मे तनिक सुख ना पाती है, कौशल्या की सुत सुख की मृगतृष्णा अधूरी । अब भी जनक सुता अयोध्या मे तनिक सुख ना पाती है, कौशल्या की सुत सुख की मृगतृष्...
तेरा साया मुझको यूँ हैरान कर गया, मैं नींद में सोया हुआ भी आहें भर रहा। तेरा साया मुझको यूँ हैरान कर गया, मैं नींद में सोया हुआ भी आहें भर रहा।
क्यों बार-बार चाँद, छुप जाए बादलों में ! क्यों बार-बार चाँद, छुप जाए बादलों में !