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भावना

भावना

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जिक्र नहीं हूँ मैं,

न मैं बयान हूँ,

हुनर नहीं हूँ,

न दास्तान हूँ।


एक जिद हूँ मैं,

मैं कारवां हूँ,

यादों में बसी हूँ,

मैं भावना हूँ।


खुद से जो पूछो,

तो जवाब हूँ में,

हकीकत से जुड़ा,

वो ख्वाब हूँ मैं।


चांदनी रात में,

चाँद से भी ज्यादा,

जो चमकती है,

वो मैं भावना हूँ।


सुनते हैं मुझे,

कई सुनने वाले,

समझने का हुनर,

सब में नहीं।


समाती नहीं,

अलफ़ाज़ में कभी,

अँधेरे में परछाई-सी,

मैं भावना हूँ।


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