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Gaurab Tripathy

Others

1.7  

Gaurab Tripathy

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कुछ मुखोटे बदलते गए

कुछ मुखोटे बदलते गए

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लोग रास्ते बदलते गए,

हम मंज़िलें बदलते गए।

कदरदानों की तलाश में,

हम महफ़िलें बदलते गए।


धुंदला सा आइना था,

सब शक्लें बदलते गए।

कुछ ने अपने किरदार बदले,

कुछ मुखोटे बदलते गए।


वक़्त का एक ही तकाज़ा था,

बस मोहलतें बदलते गए।

एक एक कर सपने टूटे,

और हम करवटें बदलते गए।



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