साया
साया
तेरा साया मुझको यूँ हैरान कर गया,
मैं नींद में सोया हुआ भी आहें भर रहा,
इक चैन मेरा खो गया, सब जानते हुए,
बस ठहर गयी ये जिंदगी, मैं आगे बढ़ गया।
जिसके लिये हर रोज़, मैंने की मन्नते हज़ार
वो छुप रहा आगोश में छिप जाय बार बार,
तुम कोन सी मंजिल पे मुझको छोड़ आए अब
मैं तब भी तेरे साथ था अब भी तेरे साथ,
तुम मेरी मुहबत का गुरूर हो ये जानता है रब।