कश्ती
कश्ती
जब कश्तियाँ साहिल से आकर टकराएंगी,
किसको पता जीवन में इक तूफ़ान लाएंगी
मझधार में हम ठोकरों से दूर रहते हैं,
तू चल संभल, कि मुश्किलें तो फिर भी आएंगी।
जब कश्तियाँ साहिल से आकर टकराएंगी,
किसको पता जीवन में इक तूफ़ान लाएंगी
मझधार में हम ठोकरों से दूर रहते हैं,
तू चल संभल, कि मुश्किलें तो फिर भी आएंगी।