तू ज्वाला तू सौम्या है तू
तू ज्वाला तू सौम्या है तू
अपूर्व पथगामिनी नव सजृन करती ,
तू विश्व निर्मात्री तू अज्ञा है, प्रज्ञा है
भारत माता तुझ से सुशोभित ,
शुद्धोअसि, बुद्धोअसि निर्ंजनोअसि ।
तू जौहर करती राजपूतानी ,
जननी तू वीरों की है ।।
दुर्गा -काली, लक्ष्मी तू ही
तू भारत की थाती है
निज वैभव से ओत प्रोत तू
तू तो विश्व विधात्री है ।।
शक्तिहीन नर तुझे दिखाते
कायर करते है, दिग्दर्शन
तू ज्वाला तू सौम्या तू अस्मिता
तू ही कविता है ।।
समरसता है तू, शौर्य नम्रता की
कौन तुझे पहचाना है
संस्कारों की अध्यात्मिकता की ,
तू संपूर्ण पाठशाला है ।
जननी है तू, चण्डी भी तू ,
उद्घोष कर अपनी पहचान बता तू।
बना निर्भय बेटी को, अस्मिता की रक्षा कर
दिल में उसके अंगार जला
कटार से वहशियों का कर संहार ,
आज तू अपनी शक्ति दिखला ।।
