पिता
पिता
ना मिला आप जैसा कोई,
ना उम्मीद मील पाने की,
इस सूख को एक बार पा
लिया अब ना उम्मीद फिर
से पा लेने की,
इतनी मुहब्बत दी आपने की
ज़रूरत ना पड़े किसी और
के आने की,
हर ज़िद हर ख़्वाहिश पूरी की
आपने एक शिकायत भी ना की
बदले में कुछ पा लेने की,
अगर की भी तो बस हमें ही
संवारने की,
पूछे कभी आपसे हम ख़्वाहिश
आपकी तो तुम खुश रहो यही
ख़्वाहिश रही आपकी,
लाख बातें सुनेंगे बाहर वालो की
पर एक बात हमें ना सुनाएंगे,
खुद में ही रखकर हम तुम्हारे साथ है
कहकर निकल जाएंगे,
कितनी ही ग़लतियाँ क्यूँ ना करे
हम हर बार माफ़ कर जाएंगे,
पर जो ग़लती की किसी और ने
तो दुनिया भर से लड़ जाएंगे,
ऐसी मुहब्बत कहाँ कहीं मिल
पाएगी बेफिक्र रहिए आप नहीं
कर पाएगा आप सा प्यार हमसे कोई।