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Aashutosh Mishra

Inspirational

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Aashutosh Mishra

Inspirational

मेरी अभिव्यक्ति

मेरी अभिव्यक्ति

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हृदय व्यथित, मन व्याकुल है,

समाज हमारा हुआ कलंकित।

मासूमों पर कुदृष्टि की छाया,

धर्म-जाति से ऊपर उठकर,

हैवानों से सुरक्षित हो घर आँगन।


मन में ग्लानि मस्तिष्क में पीड़ा

हृदय में उठती प्रतिकार की ज्वाला।

कैसे स्वार्थी समाज के लोग यहाँ पर,

अपने अपनी करते हैं।

लड़ो उन मानसिकताओं से,

छलनी करो दरिंदों को,

देखों बिलखती मांओं को,

उन ममता की छांओं को,

सूने उनके आँगन को।


भेद मिटा अब शस्त्र उठा लो,

अपने पर आने का न इंतजार करो।

हम ही राम और हम ही कृष्ण हैं

हमें ही अलख जगाना है

हमें अपने और अपनों को बचाना है


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