जिन्दगी कुछ इस तरह से जीती हूँ
जिन्दगी कुछ इस तरह से जीती हूँ
जिन्दगी कुछ इस तरह से जीती हूँ
हर पल कुछ अच्छा याद करती हूँ
हर पल कुछ बुरा भुला देती हूँ
जिन्दगी कुछ इस तरह से जीती हूँ।
चेहरे पर आईं दुख की लकीरो को
मुस्कराहट में अपनी छुपा लेती हूँ
गमगीन लोगो के चेहरे पर भी
कुछ मुस्कराहटे दे आती हूँ
जिन्दगी कुछ इस तरह से जीती हूँ।
अधिक मिले या कम,खुशी मिले या गम
सुख दुख,आशा निराशा में रहती सम
समय और हालात कैसे भी हो
थोड़ा थोड़ा समझा लेती हूँ मन को
जिन्दगी कुछ इस तरह से जीती हूँ।
चाहे जय हो या हो पराजय के रंग
भरती मन में हरदम उमंग का रंग
तो लगता हर पल खुशियों का संग
हर मुश्किल पथ में भी बस आन्नद
जिन्दगी कुछ इस तरह से जीती हूँ।
अपनी हर गल्ती से कुछ सीख लेती हूँ
मुंह छुपाती नहीं मुकाबला करती हूँ
बदरंग हो गई कुछ राहों पर भी
रंग भरने की कोशिश करती रहती हूँ
जिन्दगी कुछ इस तरह से जीती हूँ।
रोज सपनों में कुछ नए रंग भरती हूँ
ख्वाहिशे की लिस्ट कुछ कम करती हूँ
रोज कुछ पल खुद से ही बातें करती हूँ
खुद में ही खुद को ढूंढती रहती हूँ
जिन्दगी कुछ इस तरह से जीती हूँ।
खुश रहती हूँ खुशियाँ बाँटती हूँ
सबके जीवन में खुशियों की कामना करती हूँ
किसी के चेहरे पर मुस्कान ला पाऊँ
तो कुछ तृप्त अपनेआप को समझती हूँ
जिन्दगी कुछ इस तरह से जीती हूँ।
