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Rekha gupta

Abstract

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Rekha gupta

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सकारात्मक सोच

सकारात्मक सोच

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पल पल परिदृश्य परिवर्तित होता,

बहुत कुछ अनकहा जीवन में घटता,

जीवन है घटनाओं की अनवरत श्रंखला, 

तभी तो जीवन निरंतर चलायमान होता।


सुख दुःख,उतार चढ़ाव, जीत हार ,

ये अनुभूतियां ही हैं जीवन का आधार, 

मजबूत सुदृढ़ करो अपने अंतःकरण को, 

घटनाओं के प्रवाह से,बनो न तुम लाचार। 


अच्छे बुरे चाहे जैसे भी हों हालात,

जीवन के खेल में लो सक्रिय भाग,

हम चाहें तो विष घोल लें जीवन में, 

हम चाहें तो कर लें अमृत बरसात।


घटनाओं का घटना वश में नहीं हमारे, 

ये तो ईश्वरीय लिखित विधान है प्यारे,

हर घटना जीवन में कुछ शिक्षा देती है, 

सकारात्मक सोच जीवन मर्म है प्यारे। 


हर मुश्किल को सहज स्वीकार करो, 

मनोबल,मनःस्थिति न विचलित करो,

शांत चित्त स्वागत करो विधि के विधान का

सबल बन सुख का उपवन विकसित करो।


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