संकरे दिल के रास्ते
संकरे दिल के रास्ते
संकरे दिल के रास्ते
इस भागती दौड़ती जिंदगी में ,
मानवता गुमनाम हो गई ,
संवेदनाएं कहीं गुम हो गईं,
सस्ती बहुत जिन्दगी हो गई।
रिश्ते बहुत कमजोर हो गए ,
मजबूरी और लाचारी बन गए ,
लाखो करोड़ो की भीड़ में ,
हम सब नितांत अकेले हो गए।
दिल के रास्ते संकरे हो गए,
ऊँची इमारतों से शहर सज गए ,
एहसास सारे कहीं दफ्न हो गए ,
गली मोहल्ले कहीं गुम हो गए।
भीड़ का हिस्सा हैं सभी,
पहचान अपनी ढूंढ रहे हैं सभी,
भौतिक सुखों की होड़ में,
आत्मा बेच रहे हैं सभी।
आगे बढने की आपाधापी,मारामारी,
व्यस्तता बन गई है एक बड़ी बीमारी,
बौना हो गया है कद इंसानियत का,
जिन्दगी बन गयी है बहुत बेचारी।
झूठी मुस्कुराहटें हैं चेहरो पर,
झूठी खुशियों के मुखौटे हैं,
कच्ची प्यार मोहब्बत की डोर,
टूटते विश्वास के धागे हैं।
इंसान के रूप में इंसान नहीं दिखता,
धर्म,मजहब के नाम पर ईमान बिकता,
अपनेपन का रिश्ता नहीं दिखता,
इंसानियत का कोई फरिश्ता नहीं दिखता।